सुप्रीम कोर्ट का Salary in LockDown पर फैसला.
जैसा कि हम सभी जानते हैं की लॉकडाउन में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) का फैसला Salary in LockDown पर आने वाला था, जोकि अब आ गया है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा की उद्योग और उससे जुड़े हुए सभी लोग चाहे वह किसी कंपनी के एम्पलाई हो या मजदूर हो सभी एक दूसरे पर आधारित है, इसलिए किसी भी व्यापार या उससे जुड़े हुए किसी संस्थान पर कोई भी अनुशासन हीन या दंडात्मक करवाई नहीं होनी चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने लॉकडाउन में सैलरी पर क्या फैसला सुनाया ?
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा की 54 दिन की अवधि से ज्यादा वेतन पर अगर रजामंदी ना बन सके तो श्रम विभाग की मदद ले सकते हैं.
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने इस मामले में हलफनामा दाखिल करने के लिए केंद्र सरकार को दिशा निर्देश दिए. इस मामले की आगे की सुनवाई जुलाई के महीने में होगी. यहां यह बता दें की सभी उद्योगों ने गृह मंत्रालय के 29 मार्च के आदेश को चुनौती दी थी जिसमें उन्होंने यह कहा था की लॉक डाउन की अवधि में नियोक्ता को पूरा वेतन देना होगा.
इस सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा की कामगर और नियोक्ताओं के बीच का विवाद निपटाने का प्रयास तभी हो सकता है सफल, जब वह आपस में बैठकर बातचीत करें.
सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार और केंद्र सरकार को दिशा निर्देश दिए कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश को सभी श्रम विभाग को सर्कुलेट करें और उनको इस बारे में जानकारी भी दे.
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों के वकीलों ने अपनी-अपनी दलीलें दी थी. इन्होंने अपनी दलीलों में कहा कि जो एम्पलाई स्टेट इंश्योरेंस है उसके खातों में 80 से 90 हजार करोड़ जमा है. अगर सरकार 30 हजार करोड़ देकर देश के सभी कर्मचारियों को इस अवधि का वेतन दे सकती है.
इस सुनवाई में कई मजदूर संगठनों ने दी अपनी बात कोर्ट के समक्ष रखीं. उनके अनुसार सरकार चाहे वह राज्य सरकार हो या केंद्रीय सरकार हो वह अपनी जिम्मेदारी से पल्ला नहीं झाड़ सकते. सभी मजदूरों को पैसा मिलना चाहिए. और यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए.